Cholecystitis
- Rituraj Diwan

- Jul 28, 2020
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पित्ताशय की सूजन क्या है?
पित्ताशय में सूजन की स्थिति को अंग्रेजी में “कोलीसिस्टाइटिस” (Cholecystitis) कहा जाता है। जब पितरस (Bile) पित्ताशय में फंसा रह जाता है, तो पित्ताशय में सूजन आने लग जाती है। पित्ताशय में पित्तरस फंसे रहने का मुख्य कारण पित्ताशय की पथरी होती है, जो पित्ताशय वाहिनी (Cystic duct) को बंद कर देती है। पित्ताशय वाहिनी एक प्रकार की ट्यूब होती हैं, जो पदार्थों को पित्ताशय की थैली के अंदर और बाहर ले जाती हैं। जब पथरी इन पित्त नलिकाओं को बंद कर देती है, तो पित्तरस जमा होने लगता है जिससे पित्ताशय में दबाव बढ़ जाता है और अन्य समस्याएं होने लग जाती हैं। इस स्थिति के कारण पित्ताशय में सूजन व संक्रमण होने लगता है।
अधिक उम्र होना, मोटापा, हार्मोन थेरेपी और गर्भावस्था आदि पित्ताशय में सूजन पैदा करने वाले कुछ कारण हैं। ऊपरी पेट के दाहिनी तरफ दर्द होना पित्ताशय में सूजन का मुख्य लक्षण होता है, इसके साथ अक्सर बुखार, ठंड लगना, मतली और उल्टी जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं। परीक्षण के दौरान पित्ताशय व उससे जुड़ी समस्याओं का पता लगाने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासोनोग्राफी टेस्ट करते हैं।
पित्ताशय की सूजन का इलाज करने के लिए अक्सर एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है और कुछ गंभीर मामलों में ऑपरेशन करके पित्ताशय को ही शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। पित्ताशय में सूजन होने से कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं, इनमें तीव्र संक्रमण होना और उसके साथ पस बनना, पेट की परत में सूजन व जलन होना (पेरिटोनिटिस) और अग्नाशयशोथ (Pancreatitis) आदि मुख्य समस्याएं हैं।
कोलीसिस्टाइटिस (पित्ताशय की सूजन) के प्रकार - Types of Cholecystitis
पित्ताशय की सूजन मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है, जैसे:
कैल्क्युलस कोलीसिस्टाइटिस (Calculous Cholecystitis): यह पित्ताशय की सूजन का आम प्रकार है और आमतौर पर इससे कोई गंभीर स्थिति पैदा नहीं होती। यह पित्ताशय में रुकावट आने के कारण होती है, पित्ताशय की रुकावट मुख्य रूप से पित्ताशय में पथरी के कारण होती है।
अकैल्क्युलस कोलीसिस्टाइटिस (Acalculous cholecystitis): यह पित्ताशय की सूजन का एक गंभीर प्रकार होता है, जो मुख्य रूप से पित्ताशय में किसी प्रकार की क्षति या चोट लगने से होता है। कोई बड़ा ऑपरेशन होने, कोई गंभीर शारीरिक चोट लगने, जलने, ब्लड इन्फेक्शन, कुपोषण या एड्स आदि स्थितियां पित्ताशय को क्षतिग्रस्त करने वाले मुख्य कारण हैं।
कोलीसिस्टाइटिस (पित्ताशय की सूजन) के कारण - Cholecystitis Causes
पित्ताशय में पथरी होना ही पित्ताशय की सूजन का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। सूजन खासतौर पर तब आती है, जब पथरी पित्ताशय की उन नलियों को बंद कर देती हैं जो पित्तरस को पित्ताशय से बाहर निकालती हैं। ऐसा होने पर पित्ताशय में पित्तरस जमा होना लगता है और पित्ताशय में सूजन व जलन पैदा कर देता है।
पित्ताशय में सूजन के कुछ अन्य कारण जैसे:
पित नलिकाएं ट्यूमर के कारण बंद हो जाना: लिवर या अग्न्याशय में किसी प्रकार का ट्यूमर विकसित होने से पित नलिकाएं बंद हो जाती हैं, जिससे पितरस बाहर नहीं निकल पाता।
रक्त वाहिकाओं संबंधी समस्याएं: कुछ बहुत गंभीर बीमारियां हैं जो रक्त वाहिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकती हैं जिस कारण से पित्ताशय में पर्याप्त मात्रा में खून की आपूर्ति नहीं हो पाती। ऐसी स्थिति में भी पित्ताशय में सूजन आ जाती है।
पित्ताशय के अंदर गाढ़ा द्रव बनना: ऐसा अक्सर तब होता है जब आप गर्भवती होती हैं या आपने तेजी से शरीर का काफी सारा वजन कम किया है।
पित्ताशय में खून की सप्लाई कम होना: यदि आपके पित्ताशय में पर्याप्त मात्रा में खून नहीं मिल पा रहा और आपको डायबिटीज भी है, तो ऐसी स्थिति में आपके पित्ताशय में सूजन आ सकती है।
पित्ताशय में संक्रमण होना: संक्रमण होने से भी पित्ताशय प्रभावित हो सकता है। पित्ताशय में बैक्टीरिया पित्तरस को बाहर निकालने की प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पितरस जमा होना लगता है और पित्ताशय में सूजन आने लगती है।
पेट में चोट लगना: पेट में किसी प्रकार की चोट लगना, जलना या सेप्सिस के कारण भी पित्ताशय में सूजन आ सकती है।
ऑपरेशन: किसी प्रकार की सर्जरी प्रक्रिया के कारण भी पित्ताशय में सूजन आ सकती है।
प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना: प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के कारण भी पित्ताशय में सूजन आ सकती है।
Symptoms of Cholecystitis
लक्षण
तीखा, ऐंठनयुक्त या मंद दर्द।
पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में लगातार बना हुआ दर्द।
पेट दर्द जो दाएँ कंधे और पीठ तक फ़ैल जाता है।
मतली और उल्टी।
बुखार और कंपकंपी।
पेट फूलना।
पीलिया (त्वचा और आँखों का पीला होना)।
मिट्टी के रंग जैसा मल।
कोलीसिस्टाइटिस (पित्ताशय की सूजन) का परीक्षण - Diagnosis of Cholecystitis
पित्ताशय में सूजन का परीक्षण करने के दौरान डॉक्टर आपकी पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में पूछेंगे और आपके लक्षणों की जांच करेंगे। डॉक्टर पेट को छू कर पेट में सूजन या टेंडरनेस (छूने पर दर्द होना) की जांच करेंगे। परीक्षण के दौरान डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट भी कर सकते हैं, जैसे:
अल्ट्रासाउंड: पित्ताशय में सूजन की जांच करने के लिए आमतौर पर अल्ट्रासाउंड टेस्ट करवाने का आदेश दिया जाता है।
चोलेनंजियोग्राफी (Cholangiography): इस टेस्ट प्रक्रिया में एक विशेष प्रकार की डाई का उपयोग किया जाता है, इस डाई को पित नलिकाओं में डाला जाता है। इसके बाद पित्ताशय क्षेत्र का एक्स रे किया जाता है, डाई की मदद से एक्स रे तस्वीरों में पित्ताशय के भाग साफ दिखाई देते हैं।
अन्य प्रकार के स्कैन टेस्ट: कुछ अन्य प्रकार के इमेजिंग टेस्ट जैसे एक्स रे, सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन आदि भी किए जा सकते हैं। इनकी मदद से पित्ताशय की और अधिक गहराई से जांच की जाती है, जिससे किसी भी प्रकार की असामान्यता का पता लगा लिया जाता है।
गॉल ब्लैडर रेडियोन्यूक्लाइड स्कैन (Gallbladder radionuclide scan):
स्थिति का परीक्षण करने के लिए कुछ प्रकार के खून टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जैसे:
कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट
एमिलेज और लिपेज टेस्ट
सीरम बिलीरुबिन टेस्ट
सी रिएक्टिव प्रोटीन
लिवर फंक्शन टेस्ट
कोलीसिस्टाइटिस का इलाज - Cholecystitis Treatment
यदि पेट में गंभीर दर्द है, तो उसका तुरंत इलाज करने की आवश्यकता पड़ सकती है। पित्ताशय की सूजन से ग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता है और उनको कुछ समय के लिए कोई कठोर या तरल का सेवन करने से मना कर दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि पित्ताशय पाचन प्रणाली का एक अंग होता है और खाना-पीना बंद करने से पित्ताशय को आराम मिलता है।
जिस दौरान मरीज का खाना-पीना बंद किया हुआ होता है और दौरान उसको नसों के द्वारा तरल पदार्थ दिया जाता है। डॉक्टर इलाज के दौरान पेट के दर्द को कम करने के लिए कुछ दर्द निवारक दवाएं और संक्रमण का इलाज करने के लिए कुछ एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। इन दवाओं का कोर्स एक हफ्ते या उससे अधिक समय तक भी चल सकता है। अस्पताल में भर्ती होने से घर जाने के कुछ समय बाद तक इन दवाओं का कोर्स चलता रहता है।
डॉक्टर इलाज के दौरान अर्सोडायोल (Ursodiol) जैसी कुछ दवाएं भी लिख सकते हैं, जो पित्ताशय की पथरी को पिघलाने का काम करती हैं। जो लोग ऑपरेशन नहीं करवाना चाहते या किसी वजह से जिन मरीजों की सर्जरी नहीं हो सकती है, अक्सर उनको ये दवाएं दी जाती हैं।
पथरी को पिघलाने की एक और नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसे एक्स्ट्राकॉर्पोरल शॉक-वेव लिथोट्रिप्सी (ECSWL) कहा जाता है। हालांकि इस प्रक्रिया का उपयोग ज्यादातर किडनी की पथरी को पिघलाने के लिए किया जाता है, लेकिन पित की पथरी के लिए भी इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में मुख्य रूप से शरीर के बाहर से ही शॉक वेव छोड़ी जाती हैं, जो सीधा पथरी को निशाना बनाकर उसको कई टुकड़ों में तोड़ देती हैं।
ऑपरेशन -
पित्ताशय की सूजन के मामलों में ऑपरेशन का एक लंबा कोर्स होता है।
यदि आप ऑपरेशन करवाने के लिए पूरी तरह से फिट हैं, तो डॉक्टर आपके पित्ताशय को निकालने के लिए सही समय तय कर लेते हैं। कुछ मामलों में आपको जल्द से जल्द या एक, दो दिन बाद सर्जरी करवाने की आवश्यकता पड़ती है। जबकि कुछ मामलों में कुछ हफ्तों के बाद ऑपरेशन किया जाता है, जब तक पित्ताशय में लालिमा व सूजन ठीक हो जाती है।
लेप्रोस्कोपिक कोलीसिस्टेक्टोमी (Laparoscopic cholecystectomy): पित्ताशय की सर्जरी आमतौर पर लेप्रोस्कोपी प्रक्रिया के द्वारा की जाती है। इस ऑपरेशन को करने के लिए सर्जरी करने वाले डॉक्टर आपके पेट में एक छोटा सा चीरा लगाते हैं और उस चीरे के अंदर से एक छोटा सा उपकरण पेट के अंदर डाला जाता है। ज्यादातर मामलों में यह सर्जरी एक आउट-पेशेंट प्रक्रिया के रूप में की जाती है, जिसमें मरीज जल्दी ठीक हो जाता है और उसको ऑपरेशन के बाद अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
ओपन कोलीसिस्टेक्टोमी (Open cholecystectomy): इस ऑपरेशन में पित्ताशय को निकालने के लिए पेट में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है। पित्ताशय निकालने से आपके शरीर पर किसी प्रकार का असर नहीं पड़ता और आप सामान्य जीवन जी सकते हैं। पित्ताशय के बिना आप सामान्य रूप से भोजन पचा सकते हैं। पित नलिकाएं जो प्राकृतिक रूप से पित्ताशय में अपना द्रव छोड़ती हैं, सर्जरी के बाद सीधा छोटी आंत में बहने लग जाती हैं। हालांकि पित्ताशय निकाल देने के बाद कुछ लोगों को कुछ प्रकार के भोजन खाने से पेट फूलने या दस्त लगने की शिकायत देखी जा सकती है।
पित्ताशय की सूजन से बचाव के उपाय - Prevention of Cholecystitis
पित्ताशय की सूजन से बचाव कैसे करें?
निम्न की मदद से पित्ताशय में सूजन होने से बचाव किया जा सकता है:
माना जाता है, कि पित्ताशय की पथरी बनने में कोलेस्ट्रॉल मुख्य भूमिका निभाता है। इसलिए हमेशा स्वस्थ आहार खाने चाहिए और कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थों को नहीं खाना चाहिए।
नाश्ता, दोपहर का भोजन और शाम का भोजन हमेशा समय पर ही करना चाहिए और किसी भी भोजन को छोड़ना नहीं चाहिए।
अपने आहार में खूब मात्रा में फल, सब्जियां और स्वस्थ वसा को शामिल रखें। अंडे, सोयाबीन और मूंगफली आदि खाना काफी फायदेमंद हो सकता है।
वजन कम करने से भी पित्ताशय में सूजन होने से बचाव किया जा सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर में सामान्य से अधिक वजन होने से पितरस में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पित्ताशय में पथरी होने की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं। यदि आप पित्ताशय की पथरी के खतरे को कम करने के लिए शरीर का वजन कम करना चाहते हैं, तो अपने शरीर के वजन को धीरे-धीरे कम करें।
एक हफ्ते में पांच दिन व्यायाम करें और एक दिन में कम से कम 30 मिनट व्यायाम करने के लिए समय निकालें।
पित्ताशय की सूजन की जटिलताएं - Cholecystitis Risks & Complications
यदि इस स्थिति का इलाज ना किया जाए, तो मरीज में कई जटिलताएं विकसित हो सकती हैं, जैसे:
पित्ताशय की परत में दरार होना - पित्ताशय में सूजन, संक्रमण या पित्ताशय के ऊतक क्षतिग्रस्त होने से पित्ताशय की परत में छेद या दरार बन जाती है।
पेरिटोनिटिस - पेट की अंदरुनी परत में गंभीर संक्रमण होना
गैल्स्टोन अग्नाशयशोथ - इस स्थिति में पित्ताशय की पथरी पित नलिकाओं से होते हुऐ पित्ताशय से निकल जाती है और जाकर अग्नाशय की नलिकाओं में फंस जाती है।
गंभीर पेट दर्द - पित्ताशय में सूजन होने के कारण होने वाला पेट का दर्द सामान्य पेट दर्द से काफी अधिक होता है।
गैंग्रीन - यह एक बहुत गंभीर प्रकार का संक्रमण होता है, जो पूरे शरीर में फैल जाता है।
फिस्टुला - यदि पित्ताशय में बड़े आकार की पथरी विकसित हो गई है, तो कभी-कभी व पित्ताशय की परत को नष्ट करने लग जाती है, जिससे छोटी आंत या पेट के किसी दूसरे हिस्से में फिस्टुला बन जाता है।
पितस्थिरता - इस स्थिति में पित की पथरी पित वाहिनी को प्रभावित कर देती है और सामान्य पित नलिकाओं को संकुचित व बंद कर देती है।




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